बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- भारतीय संविधान की अवधारणा बताइए। भारतीय संविधान के अन्तर्गत मौलिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिये।
उत्तर -
संविधान का अर्थ - 'संविधान' शब्द अंग्रेजी भाषा के 'Constitution' शब्द का हिन्दी रूपान्तरण है। Constitution शब्द की उत्पत्ति Constiture place to gether से हुई है। जिसका शाब्दिक अर्थ है- 'एक सोच रखना'।
किसी राष्ट्र की शासन व्यवस्था का संचालन संविधान द्वारा होता है। संविधान राष्ट्र का वह मार्गदर्शक हैं जिसे राष्ट्र अपने लिए चुनता है यह एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें राष्ट्रीय उद्देश्य के संकेत मिलते हैं अर्थात् किस प्रकार से राज्य होगा तथा किसी प्रकार से केन्द्रीय तथा राज्य सरकार इन आदर्शों, मूल्यों तथा उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कार्य करेगी। इसमें विधान पालिका अंग (organs) होते हैं तथा उनके अधिकार क्षेत्र का विवरण रहता है। राज्य के निवासियों के अधिकारों तथा कर्तव्यों का भी उल्लेख रहता है। अतः किसी भी देश का संविधान उस देश की सर्वोच्च निधि होता है। इसके ऊपर न तो कोई शक्ति होती है और न सत्ता। सरकार संविधान से ही अपनी शक्तियाँ प्राप्त करती हैं तथा संविधान की मर्यादाओं में रहकर ही अपने कर्तव्यों व दायित्वों का निर्वहन करती है। किसी राज्य को शासित करने वाले सिद्धान्त संविधान की परिधि में आते हैं।
संविधान द्वारा प्रदत्त भारतीय नागरिक के मौलिक अधिकार
भारत एक प्रभुसत्ता सम्पन्न लोकतांत्रिक राज्य है। जिसमें के चतुर्मुखी विकास के लिए भारतीय नागरिकों को छः मूल अधिकार संविधान द्वारा प्रदत्त हैं। ये अधिकार नांगरिकों की स्वतंत्रता का मूल अस्त्र है। नागरिक को शोषण से बचाने तथा उनको सुखी जीवन प्रदान करने के लिए इनके अन्तर्गत अवसर प्रदान किये गये हैं। आपातकाल के अतिरिक्त कोई भी सरकार इनको सीमित नहीं कर सकती है। भारतीय नागरिकों को प्राप्त छ: मूल अधिकारों का वर्णन निम्नलिखित है-
(1) समानता का अधिकार (Right to Equality) - भारतीय समाज में व्याप्त असमानताओं को मिटाने के लिये संविधान निर्माताओं ने समानता के अधिकार को प्रथम स्थान प्रदान किया।
(i) कानून के समक्ष समानता ( अनुच्छेद 14 )
(ii) धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के अधार पर भेदभाव का निषेध ( अनुच्छेद 15 )
(iii) सरकारी पदों की प्राप्ति के लिए अवसर की समानता (अनुच्छेद 16 )
(iv) अस्पृश्यता का निषेध ( अनुच्छेद 17 )
(v) उपाधि का अन्त ( अनुच्छेद 18 )
(2) स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom ) - संविधान के अन्तर्गत निम्नलिखित स्वतन्त्रताएँ प्रदान की गयी हैं-
(i) विचार और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता (अनुच्छेद 19 )
(ii) अस्त्र-शस्त्र रहित तथा शान्तिपूर्वक सम्मेलन की स्वतंत्रता ( अनुच्छेद 19)
(iii) समुदाय और संघ निर्माण की स्वतन्त्रता ( अनुच्छेद 18 )
(iv) भारत राज्य क्षेत्र में अबाध भ्रमण की स्वतन्त्रता ( अनुच्छेद 19 )
(v) वृत्ति, उपजीविका या कारोबार की स्वतन्त्रता ( अनुच्छेद 19 )
(vi) अपराध की दोषसिद्धि के विषय में संरक्षण ( अनुच्छेद 20 )
(vii) व्यक्तिगत स्वतन्त्रता तथा जीवन की सुरक्षा ( अनुच्छेद 21 )
(viii) बन्दीकरण की अवस्था में सरंक्षण (अनुच्छेद 22)
(3) शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right Against Explaitation) - संविधान में किसी भी व्यक्ति के किसी भी रूप में शोषण की मनाही की गयी है।
(i) मनुष्य का क्रय-विक्रय बेगार पर रोक अनुच्छेद ( अनुच्छेद 23 )
(i) 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कारखानों, खानों तथा अन्य खतरनाक कर्मों में नौकरी पर रखने पर निषेध ( अनुच्छेद 24)
(4) धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार (Right to Freedom of Religion) - भारत एक पंथ निरपेक्ष राज्य है भारतीय संविधान ने भारत के सभी नागरिकों को धर्म की स्वतन्त्रता प्रदान की गयी है।
(i) अन्त: करण की स्वतन्त्रता ( अनुच्छेद 25 )
(ii) धार्मिक मामलों का प्रबन्ध की स्वतन्त्रता ( अनुच्छेद 26 )
(iii) धार्मिक व्यय के लिए निश्चित धन पर कर की अदायगी से छूट (अनुच्छेद 27 )
(iv) शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने या न प्राप्त करने की स्वतन्त्रता ( अनुच्छेद 28)
(5) संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार (Cultural and Educational Right) - भारत में विभिन्न धर्मों सम्प्रदायों, भाषाओं तथा संस्कृतियों के लोग रहते हैं। अतः संविधान में प्रत्येक सम्प्रदाय को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति बनाये रखने का अधिकार होगा तथा इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वे शिक्षा संस्थाओं की स्थापना तथा संचालन कर सकते हैं।
(6) संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to Constitution Remedies) - संविधान द्वारा प्रदान किये गये इस अधिकार को डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने संविधान के हृदय तथा आत्मा की संज्ञा दी। यह अधिकार सभी नागरिकों को छूट देता है कि वे अपने अधिकारों के संरक्षण के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकते हैं तथा अपने अधिकार को लागू करने की माँग रख सकते हैं सर्वोच्च न्यायालय इन अधिकारों की रक्षा हेतु अनेक प्रकार के लेख जारी कर सकता है। जैसेकि बन्दी प्रत्यक्षीकरण (Writ of Hablas Corpus) परमादेश लेख (Mandamus) प्रतिवेघ लेख (Prohibition) अधिकार पृच्छा लेख (Quowarrant) तथा उत्प्रेक्षण लेख (writ of certiorari)
(Fundamental Duties)
26 जनवरी, सन् 1950 को स्वतन्त्रा भारत का नया संविधान लागू किया गया जिसके अन्तर्गत भारत को एक धर्म निरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य घोषित किया गया। स्वतन्त्रता के बाद भारतीय संविधान के द्वारा लोगों को मौलिक अधिकार जैसे समानता, स्वतन्त्राता शोषण के विरुद्ध, धर्म स्वतन्त्रता, संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी और संविधानिक उपचारों के अधिकार दिये गये हैं। अधिकार और कर्त्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं। भारतीय संविधान के 44वें संशोधन द्वारा नागरिकों के कुछ मौलिक कर्त्तव्य भी निर्धारित किये हैं जो निम्न प्रकार से हैं-
1. भारत का प्रत्येक नागरिक संविधान का सम्मान करे और उसमें दिये गये नियमों का पालन करें। राष्ट्रीय ध्वज व राष्ट्रीय गान का आदर करने के लिए मौलिक कर्त्तव्य में विशेष उल्लेख किया गया है।
2. भारत के प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्त्तव्य है कि वह अपने देश की सभ्यता और संस्कृति का आदर-सम्मान करे और उसे सुरक्षित रखने में सहायता प्रदान करे। पश्चिमी सभ्यता के भुलावे में आकर अपनी सभ्यता का त्याग न करें।
3. भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि भारत की प्रमुख सत्ता, एकता और अखण्डता का समर्थन करें उसकी रक्षा करें तथा स्वार्थी तत्वों से भारत की एकता की रक्षा करें।
4. प्राकृतिक वातावरण की रक्षा करना भी प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्त्तव्य है। देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने में प्राकृतिक स्रोतों का जैसे वन्य जीवन, वन, खनिज, जल, नदियों आदि का विशेष हाथ है। प्रत्येक नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि देश के विकास के लिए इनकी रक्षा करें।
5. प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि अन्धविश्वास और रूढ़िवादिता को समाप्त करके जीवन के प्रति विशाल दृष्टिकोण अपनाये और देश के प्रति विश्वासघात न करें।
6. प्रत्येक नागरिक को सार्वजनिक सम्पत्ति की भी रक्षा करनी चाहिए। सार्वजनिक सम्पत्ति जैसे सरकारी भवन, ऐतिहासिक भवन, रेल, बसें, पार्क, सड़कें, पुल आदि पूरे राष्ट्र की सम्पत्ति होती है। विभिन्न राजनैतिक दल अपनी माँगों को मनवाने और अपने राजनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आन्दोलन का सहारा लेते हैं और उस समय सार्वजनिक सम्पत्ति को नष्ट करने का प्रयत्न करते हैं। प्रत्येक नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि वह सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करें।
7. किसी भी राष्ट्र की उन्नति वहाँ के नागरिकों पर निर्भर करती है। यदि नागरिक उन्नत होंगे तो राष्ट्र उन्नतशील होगा इसीलिए नागरिकों का कर्त्तव्य है कि व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों में श्रेष्ठता प्राप्त करने का प्रयत्न करें 1
8. प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि वह अहिंसात्मक व प्रजातान्त्रिक आदर्शों में विश्वास रखे, धार्मिक एकता में विश्वास रखे और देश के प्रति वफादारी अपनाकर अपने आपको एक आदर्श नागरिक बनाने का प्रयत्न करें।
9. देश के नेताओं ने राष्ट्रीय तथा सामाजिक एकता को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण आदर्शों जैसे (अहिंसा, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता) की स्थापना की है। प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि वह इन आदशों का अनुसरण करें और राष्ट्रीय एकता को बनाये रखें।
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- प्रश्न- समाजशास्त्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र को जन्म देने वाली प्रवृत्तियाँ कौन-कौन-सी हैं?
- प्रश्न- शाब्दिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- पारिभाषिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ समझाइये |
- प्रश्न- समाजशास्त्र की वास्तविक प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज के आधुनिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बालक पर भारतीय समाज के विभिन्न प्रभावों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वर्तमान सामाजिक व्यवस्था को देखते हुए पाठ्यक्रम में किस प्रकार के बदलाव किये जाने चाहिये?
- प्रश्न- शिक्षा की समाजशास्त्रीय प्रवृत्ति ने शिक्षा में कौन-सी नयी विचारधाराओं को उत्पन्न किया?
- प्रश्न- शान्तिपूर्ण व सामूहिक जीवन हेतु विभिन्नता में एकता की स्थापना करने वाले घटकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शान्तिपूर्ण एवं सामूहिक रहने के लिये विभिन्नता में एकता स्थापित करने में शैक्षिक संस्थाओं की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता का अर्थ स्पष्ट करते हुए धर्मनिरपेक्षता की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय सन्दर्भ में धर्मनिरपेक्ष राज्य की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता सम्बन्धी प्रावधानों को भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता को प्रोत्साहित करने वाले कारक कौन-से हैं? धर्मनिरपेक्षता के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में होने वाले सामाजिक परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता के कारण भारतीय समाज में क्या परिवर्तन हुए?
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्ष शिक्षा की विशेषताओं एवं इसके विकास में विद्यालय की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता के विकास में विद्यालय की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रक्रिया, रूप एवं प्रमुख कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के रूप बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन और शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास का क्या अर्थ है? आर्थिक विकास के साधन के रूप में शिक्षा के योगदान को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- संस्कृति से आप क्या समझते हैं? संस्कृति की आवश्यकता एवं महत्त्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों तथा शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को समझाइए।
- प्रश्न- "शिक्षा एक सामाजिक एवं गत्यात्मक प्रक्रिया है। " इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा प्रक्रिया की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक परिवर्तन से क्या तात्पर्य है? सांस्कृतिक परिवर्तन लाने में शिक्षा की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र और शिक्षाशास्त्र में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- समाजशास्त्र और शिक्षाशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति और समाज के मध्य सम्बन्धों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- वर्तमान समाज में परिवार का स्वरूप बदल गया है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय सामाजिक व्यवस्था में असमानताओं को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
- प्रश्न- सामाजीकरण में परिवार का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- सामाजिक व्यवस्था की मुख्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में बाधा उत्पन्न करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विरासत से आप क्या समझते हैं? यह शिक्षा से किस प्रकार सम्बन्धित है?
- प्रश्न- सांस्कृतिक विकास की कुछ समस्याएँ बताइये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा सांस्कृतिक परिवर्तन कैसे लाती है?
- प्रश्न- शिक्षा के सामाजिक आधार से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (समाजशास्त्र और शिक्षा का सम्बन्ध)
- प्रश्न- संविधान की परिभाषा दीजिये। संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की अवधारणा बताइए। भारतीय संविधान के अन्तर्गत मौलिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के अन्तर्गत वर्णित शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न धाराओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न प्रावधान क्या-क्या हैं?
- प्रश्न- राज्य के नीति निदेशक तत्त्वों से आप क्या समझते हैं? भारतीय संविधान में लिखित नीति-निदेशक तत्त्वों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- समानता, बन्धुता, न्याय व स्वतंत्रता की संवैधानिक वादे के संदर्भ में शिक्षा के लक्ष्यों से सम्बन्धित संवैधानिक मूल्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों की कार्यप्रणाली के विषय में बताइए तथा संविधान निर्माण की विभिन्न समितियाँ कौन-सी थीं?
- प्रश्न- प्रस्तावना से क्या आशय है? भारतीय संविधान की प्रस्तावना तथा इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों की प्रकृति तथा उनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के नीति निदेशक तत्वों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में अनुच्छेद 45 का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रजातन्त्र का अर्थ स्पष्ट करते हुए प्रजातन्त्र के गुण-दोषों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रजातन्त्र के प्रमुख गुण व दोषों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र का क्या अर्थ है? भारतीय लोकतंत्र के सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय लोकतन्त्र के मूल सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्रीय समाज में शिक्षा के क्या उद्देश्य होने चाहिए? उनमें से किसी एक की सविस्तार विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "आधुनिक शिक्षा में लोकतांत्रिक प्रवृष्टि दृष्टिगोचर होती है।' स्पष्ट कीजिए तथा लोकतांत्रिक समाज में विद्यालयों की भूमिका पर भी प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जनतंत्र केवल प्रशासन की एक विधि ही नहीं है वरन् यह एक सामाजिक प्रणाली भी है। व्याख्या कीजिए |
- प्रश्न- भारत जैसे लोकतन्त्रीय राष्ट्र में शिक्षा के उद्देश्य किस प्रकार के होने चाहिए?
- प्रश्न- शिक्षा का लोकतन्त्रीकरण क्या है? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- जनतंत्र की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। जनतंत्र पर शिक्षा के प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में जनतन्त्र से आप क्या समझते हैं? सोदाहरण पूर्णतः स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में प्रजातन्त्र से आप क्या समझते हैं? विद्यालय में प्रजातान्त्रिक वातावरण बनाए रखने के लिए आप क्या प्रयास करेंगे?
- प्रश्न- लोकतंत्र और शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र और अनुशासन में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- लोकतंत्र और शिक्षक एवं शिक्षार्थी में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- लोकतंत्र में विद्यालयों की क्या भूमिका होती है?
- प्रश्न- लोकतंत्र में शिक्षा का अन्य पहलू क्या है?
- प्रश्न- लोकतंत्र के लिए शिक्षा की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारत का संविधान )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा एवं प्रजातंत्र )
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं? समानता के क्षेत्र एवं भारत में यह कहाँ तक उपलब्ध है?
- प्रश्न- अनुसूचित जातियों से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं को बताइये तथा इनके समाधान के उपायों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अनुसूचित जाति की समस्याओं के समाधान के उपाय बताइये।
- प्रश्न- अल्पसंख्यक की अवधारणा बताइये। अल्पसंख्यकों की शिक्षा के लिये किये गये प्रयासों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- ईसाई धर्म ने हमारी शिक्षा व्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित किया है? उचित उदाहरणों की सहायता से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में सार्वभौमीकरण से क्या तात्पर्य है? शिक्षा में सार्वभौमीकरण की कितनी अवस्थायें एवं वर्तमान में इनकी आवश्यकता एवं महत्व के कारण बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा की सार्वभौमीकरण की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सार्वभौम एवं समावेशी शिक्षा में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को रोचक एवं प्रभावपूर्ण बनाने में शिक्षक की भूमिका की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत में अधिगम संदर्भ में व्याप्त विविधताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भाषायी विविधता के संदर्भ में अध्यापक से क्या अपेक्षाएँ होती हैं?
- प्रश्न- 'जातीय व सामाजिक विविधता तथा अध्यापक' पर टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के लिए शिक्षा का सिद्धान्त आवश्यक है समझाइये |
- प्रश्न- पाठ्यक्रम और शिक्षा विधि की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- अध्यापक का योगदान व स्कूल का वातावरण के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना विकसित करने के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय भावना के प्रसार में यूनेस्को की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
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- प्रश्न- वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं? वैश्वीकरण के गुण एवं दोष बताइये।
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- प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के प्रमुख कारण स्क्रेच स्रोत क्या हैं? इन्हें दूर करने हेतु व्यावसायिक सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक चुनौतीपूर्ण बच्चों को विद्यालय पर समान शैक्षिक अवसर कैसे उपलब्ध कराए जा सकते हैं?
- प्रश्न- कोठारी आयोग के द्वारा प्रवेश शिक्षा के अवसर व समानता व इससे सम्बन्धित सुझाव बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 में शिक्षा की असमानता को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए गए?
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय आयोग के शैक्षिक अवसरों की समानता सम्बन्धी सुझावों को बताइए।
- प्रश्न- स्त्री शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के विभिन्न स्वरूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान में अल्पसंख्यकों की सुविधाओं के लिये क्या प्रावधान किये गये हैं?
- प्रश्न- शिक्षा आयोग (1964-66) द्वारा शैक्षिक अवसरों की समानता के लिये दिये गये सुझाव क्या हैं?
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता में शिक्षक की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- शिक्षा के सार्वभौमीकरण में बाधक 'शैक्षिक असमानता' को दूर करने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना से क्या तात्पर्य है? इसकी आवश्यकता क्यों अनुभव की गई?
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- प्रश्न- लोकतान्त्रिक अन्तःक्रिया के माध्यम से राष्ट्रीय एकीकरण में शिक्षक की क्या भूमिका हो सकती है?
- प्रश्न- आदर्श भारतीय समाज के निर्माण में शिक्षक की भूमिका।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक अवसरों की समानता )
- प्रश्न- सर्व शिक्षा के बारे में बताइये एवं इसके लक्ष्यों, क्रियान्वयन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन क्या है? विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सम्पूर्ण साक्षरता अभियान का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कॉमन स्कूल पद्धति का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?
- प्रश्न- समावेशी शिक्षा में शिक्षक की भूमिका स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- आश्रम पद्धति विद्यालय के बारे में बताइये।
- प्रश्न- आश्रम पद्धति विद्यालय की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिड डे मील स्कीम के गुण एवं दोष की गणना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक कार्यक्रम )